मैं न कहूंगा तुझसे अश्कों की बातें
गुजर जाएं चाहे मेरी तन्हा ये रातें
मुमकिन नहीं फिर भी तब तक जिऊंगा
जीती हैं तेरी जब तक सांसों में यादें
मैं न कहूंगा तुझसे अश्कों की बातें...
बदली क्यों राहें तुमने कुछ न कहूंगा
क्यों फेरी निगाहें तुमने कुछ न कहूंगा
गईं छोड़ के मुझको जिस मोड़ पे तुम
क्यों परछाईयाँ देतीं मुझको फिर से आवाजें
मैं न कहूंगा तुझसे अश्कों की बातें...
यादें कभी जो मेरी तुझको सताएं
अनजाने में पलकें गीली कर जाएं
मुंह छुपा के न तकिये में रातें बिताना
तड़पती रहेंगी वरना सावन में रातें
मैं न कहूँगा तुझसे अश्कों की बातें...
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