मंगलवार, 5 अप्रैल 2011

मैं न कहूंगा तुझसे अश्कों की बातें

मैं न कहूंगा तुझसे अश्कों की बातें
गुजर जाएं चाहे मेरी तन्हा ये रातें

मुमकिन नहीं फिर भी तब तक जिऊंगा
जीती हैं तेरी जब तक सांसों में यादें

मैं न कहूंगा तुझसे अश्कों की बातें...

बदली क्यों राहें तुमने कुछ न कहूंगा
क्यों फेरी निगाहें तुमने कुछ न कहूंगा

गईं छोड़ के मुझको जिस मोड़ पे तुम
क्यों परछाईयाँ देतीं मुझको फिर से आवाजें

मैं न कहूंगा तुझसे अश्कों की बातें...

यादें कभी जो मेरी तुझको सताएं
अनजाने में पलकें गीली कर जाएं

मुंह छुपा के न तकिये में रातें बिताना
तड़पती रहेंगी वरना सावन में रातें

मैं न कहूँगा तुझसे अश्कों की बातें...