बुधवार, 27 मई 2015

'आदमी'......

'आदमी'
जिस 'आदमी' ने अपनी ईमानदारी की खातिर अपनी सरकारी नौकरी छोड़कर समाज और देश के लिए कुछ करना चाहा।
जिस 'आदमी' ने बिना किसी लाठी-डंडे और तलवार के गांधीवादी तरीके पर चलकर कांग्रेस की नाक में दम कर दिया।
सिर्फ नाक में 'दम' ही नहीं किया बल्कि कांग्रेस के साथ-साथ बीजेपी का भी दिल्ली में 'दम' निकाल दिया।
जिस 'आदमी' पर न कांग्रेस और न ही बीजेपी किसी तरह के भ्रष्टाचार और दुराचार के आरोप साबित नहीं कर पाईं।
जिस 'आदमी' ने अपने संघर्ष, अपने जुझारूपन, अपनी लगन, मेहनत, ईमानदारी और सबसे बड़ी बात सत्यनिष्ठा के साथ दृढ़ता ने 127 साल पुरानी कांग्रेस और 35 साल पुरानी बीजेपी को देश की राजधानी में बेचारी पार्टी बना दिया।
जिस आदमी ने अपने संघर्ष के दिनों से लेकर दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने तक कभी न अपना रहने का स्टाइल बदला और न ही अपने कपड़े बदले,...
उस 'आदमी' की चुनी हुई सरकार को नहीं चलने देने की साजिश, खुद को दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बताने वाली बीजेपी कर रही है। सिर्फ साज़िश ही नहीं कर रही है, बल्कि बीजेपी के 'वन मैन शो' बन चुके माननीय पीएम नरेन्द्र मोदी उस 'आदमी' को अपने से कमतर समझकर बात करने से भी कतरा रहे हैं।
और ये सब इसलिए हो रहा है क्योंकि जेपी आंदोलन के बाद देश में जितनी भी पार्टियां बनीं उन्होंने कभी भी दिल्ली में इस तरह से सीटें कभी नहीं जीती। यहां तक कि खुद बीजेपी के लिए पिछले 17 सालों से दिल्ली दरबार शेखचिल्ली का ख्वाब बना हुआ है।
अब इसे तथाकथित दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी के नेताओं की झुंझलाहट कहें या फिर उस 'आदमी' की ईमानदारी और मजबूत इरादों के आगे खुद को बौना पा रहे हिंदुत्व के झंडाबरदारों का बचकानापन।
तरस आता है उन एलजी महोदय पर जो शीला के जमाने से लेकर जहां भी रहे, कभी मुंह नहीं खोल पाए। एलजी बनने से पहले किसी ने जिनका नाम तक नहीं सुना, एकाएक उनको अपने संवैधानिक अधिकार और कर्तव्य याद आ गए। अरे भाई, संविधान में जब साफ-साफ लिखा है कि किसी भी राज्य की चुनी हुई सरकार और उसकी मंत्रिपरिषद की सलाह पर राज्यपाल काम करेंगे। तो फिर नियुक्ति और तबादलों का अधिकार उपराज्यपाल के पास कैसे पहुंच गया। चलो छोड़ो ये कोर्ट, वकील और संविधान विशेषज्ञों का टेक्निकल मामला है वो सुलझ लेंगे।
हम बात कर रहे हैं उस 'आदमी' की, जिसने जाड़े से बचने के लिए कान पर 'मफलर' बांधा तो बड़ी पार्टियों के छोटे नेताओं ने उसे मंकी मैन, मफलरछाप और न जाने क्या-क्या कहकर संबोधित करना शुरु कर दिया।
अरे भाई, हम आपसे पूछते हैं, बड़ी पार्टी के छोटे नेताओं में से आप लोग कितने ऐसे लोग हैं जिन्होंने समाज और देश के लिए अपनी सरकारी नौकरी कुर्बान की हो। कितने ऐसे लोग हैं जो IRS जैसी सेवा के लिए चुने गए हों, फिर भी समाज के लिए नौकरी छोड़ी हो....आप में से कितने ऐसे हैं जिनका विधायक, मंत्री या सांसद बनने के बाद स्टाइल न बदला हो,....हो तो ये रहा है कि रातों-रात बड़ी पार्टी के छोटे नेताओं की तिजोरियां भर गईं। कल तक जिनके घरों में फाके पड़ते थे, वो अब अरबपति हो गए.....कितने ऐसे नेता हैं, जिन्होंने किसी स्टेट का मुख्यमंत्री बनने के बाद नई गाड़ी तक न खरीदी हो....अरे बात तो आप लोग महामना मालवीय, दीन दयाल उपाध्याय और श्यामा प्रसाद मुखर्जी के आदर्शों पर चलने की करते हैं,,,,लेकिन क्या हकीकत में ऐसा है,,,,दूसरे पर उंगली उछाल रहे है....पहले ये तो देख लो कि आपके दामन पर कितने दाग हैं। अफसोस हो रहा है कि हमने उस आदमी को वोट दिया, जो खुद को कभी सादा कपड़ों में दिखाता था, खुद को ज़मीन से जुड़ा चाय बेचने वाला बताता था। लेकिन अफसोस लुटियंस जोन के सिंहासन पर बैठते ही सब भूल गए। कपड़े बदल गए, कपड़े पहनने का स्टाइल बदल गया,,.,.कुर्ता जैकेट लाखों के सूट-बूट में बदल गया....और ज़मीन बातें कोरी बकवास बन गईं। फेंकोलॉजी और हांकालॉजी की अगर कोई ड्रिग्री होती तो सबसे पहला अवार्ड इसी आदमी को मिलता। भाई साहब ज़रा नीचे आइए..बहुत हवा में हो.....वक्त बदलने में देर नहीं लगती, और ये वही हिंदुस्तान है, जहां बड़े-बड़ों और बड़ी-बडियों की नाक जनता ने काट कर रख दी है।



 

गुरुवार, 12 अप्रैल 2012

बेटे का नाम फेसबुक सिंह

प्रश्न- भाभी का क्या नाम है 
जवाब- गूगल कौर। 

प्रश्न- अरे, यह कैसा नाम है 
जवाब- एक सवाल करो तो हजार जवाब देती है। 

प्रश्न बेटे का क्या नाम है 
जवाब फेसबुक सिंह। 

प्रश्न ऐसा नाम क्यों रखा 
जवाब  कुछ कहो तो उसे पूरी सोसायटी में फैला देता है। 

प्रश्न और बेटी का नाम 
जवाब  ट्विटर कौर। तुम पूछो उससे पहले ही बता देता हूं, सारा दिन चहकती रहती है और पूरा मोहल्ला उसे फॉलो 

सोमवार, 16 जनवरी 2012

एक तेरी ही आरज़ू है..

http://www.jaatproud.blogspot.com/
एक तेरी ही आरज़ू है एक तेरा ही फसाना
हम चाहें भी तो कैसे तुझको पायें भुलाना..
ज़िंदगी की जज्दोजहद में ख्वाब बने हैं अफसाना
तुझे पाने की मेरी चाहत को जानता है ये ज़माना
एक तेरी ही आरजू है एक तेरा ही फसाना।

मंगलवार, 5 अप्रैल 2011

मैं न कहूंगा तुझसे अश्कों की बातें

मैं न कहूंगा तुझसे अश्कों की बातें
गुजर जाएं चाहे मेरी तन्हा ये रातें

मुमकिन नहीं फिर भी तब तक जिऊंगा
जीती हैं तेरी जब तक सांसों में यादें

मैं न कहूंगा तुझसे अश्कों की बातें...

बदली क्यों राहें तुमने कुछ न कहूंगा
क्यों फेरी निगाहें तुमने कुछ न कहूंगा

गईं छोड़ के मुझको जिस मोड़ पे तुम
क्यों परछाईयाँ देतीं मुझको फिर से आवाजें

मैं न कहूंगा तुझसे अश्कों की बातें...

यादें कभी जो मेरी तुझको सताएं
अनजाने में पलकें गीली कर जाएं

मुंह छुपा के न तकिये में रातें बिताना
तड़पती रहेंगी वरना सावन में रातें

मैं न कहूँगा तुझसे अश्कों की बातें...

मंगलवार, 18 मई 2010

मुझे अभी तो जीने दो

दो घूंट ख़ुशी के पीने दो!!
आसमान है बदला-बदला ,
काले बादल ने धूप को निगला,
बारिश की बूंदों में जरा,
मुझे अभी तो भीगने दो!
मुझे अभी तो जीने दो!!

खामोश सर्द रातों में,
दादी-मां की प्यारी बातों में,
सात समन्दर पार सही,
एक सपना तो संजोने दो!
मुझे अभी तो जीने दो!!

गर्म झुलसाती हवाओं में,
सूखे पेड़ की छांव में,
नए मंजर निकल रहे जो,
उसे घड़ी भर देखने दो!
मुझे अभी तो जीने दो!!

उसकी रातों से रात गई है,
खुशियों की हर बात गई है,
रिश्तों के जज्बात गए हैं,
रहने दो इन्सान मुझे,
कोई चाक जिगर तो सीने दो!
मुझे अभी तो जीने दो!!

बच्चों ने जीना सिखलाया,
बुजुर्गों ने आइना दिखलाया,
दिल की पुकार भी है कुछ,
जरा खुद से भी तो समझने दो !
मुझे अभी तो जीने दो,
दो घूंट ख़ुशी के पीने दो !!

खंजर मार कर मुस्कुरा रहे हैं वो

ये कैसा आलम है
ये कैसा मंज़र है
किसी अपनों ने ही वार कर मारा खंज़र है!
खंजर मार कर मुस्कुरा रहे हैं वो
अपने दिए ज़ख़्मों से हमें छलनी किए जा रहे हैं वो !
ये कैसी दी उन्होंने हमें अपनी नफ़रत
कि हम उनकी नफ़रत को अपना बना रहे हैं
और अपनी हालत पर खुद भी मुस्कुरा रहे हैं
अपनी तबाही के मंज़र का आनंद उठा रहे हैं
हमारी ऐसी हालत देखकर वो डरे जा रहे हैं
और वो हैं कि अपने डर को छुपाने की
नाकाम कोशिश किए जा रहे हैं।।

अब ना हम होंगे

मेरी कलम मेरे अल्फाजों की
ये आखिरी सौगात है
अब ना हम होंगे
ना हमारी बातें
ना होंगी हसरतें
ना ही चाहतें
ना रुसवाइयां होंगी
ना आंखें होंगी नम
ना तुम रूठोगे
ना हम मनाएंगे
ना रातें करवटे लेते बीतेंगी
ना सुबह हताशा भरी होगी
अब जो होगा
वो मन में होगा
मन के कोने की हर किवाड़ अब बंद
ना खटखटाना इसे
क्योंकि इसकी कुंडी हमसे नहीं खुलेगी
बस ये ले लो
आखिरी अल्फाज
आखिरी सौगात
आखिर जज्बात
के साथ अलविदा..
मेरे दोस्तों
अलविदा मेरी मुस्कुराहट
अलविदा हर चाहत की आहट
अलविदा.. अलविदा।