मंगलवार, 18 मई 2010

मुझे अभी तो जीने दो

दो घूंट ख़ुशी के पीने दो!!
आसमान है बदला-बदला ,
काले बादल ने धूप को निगला,
बारिश की बूंदों में जरा,
मुझे अभी तो भीगने दो!
मुझे अभी तो जीने दो!!

खामोश सर्द रातों में,
दादी-मां की प्यारी बातों में,
सात समन्दर पार सही,
एक सपना तो संजोने दो!
मुझे अभी तो जीने दो!!

गर्म झुलसाती हवाओं में,
सूखे पेड़ की छांव में,
नए मंजर निकल रहे जो,
उसे घड़ी भर देखने दो!
मुझे अभी तो जीने दो!!

उसकी रातों से रात गई है,
खुशियों की हर बात गई है,
रिश्तों के जज्बात गए हैं,
रहने दो इन्सान मुझे,
कोई चाक जिगर तो सीने दो!
मुझे अभी तो जीने दो!!

बच्चों ने जीना सिखलाया,
बुजुर्गों ने आइना दिखलाया,
दिल की पुकार भी है कुछ,
जरा खुद से भी तो समझने दो !
मुझे अभी तो जीने दो,
दो घूंट ख़ुशी के पीने दो !!

5 टिप्‍पणियां:

दिलीप ने कहा…

bahut hi khoobsoorat aur sandesh deti kavita

Sarita ने कहा…

सुंदर अभिव्यक्ति। अपनी सक्रियता से हिंदी ब्लागिंग को आप और ऊंचाई तक पहुंचाएं यही कामना है।
http://gharkibaaten.blogspot.com

Unknown ने कहा…

जीवन,सपने और खुशी की त्रिवेणी से गुंथी सुन्दर-सशक्त अभिव्यक्ति......श्रेष्ठ सृजन जारी रखे...मेरे ब्लाग से जुङेगे तो खुशी होगी।

kunwarji's ने कहा…

"खामोश सर्द रातों में,
दादी-मां की प्यारी बातों में,
सात समन्दर पार सही,
एक सपना तो संजोने दो!
मुझे अभी तो जीने दो!!"

bahut badhiya!
aapki kalam aapki bhaavnaao ko bakhoobi pehchaanti hai shaayad!
shubhkaamnaaye swikaar kare...

kunwar ji,

RAJNISH PARIHAR ने कहा…

सुंदर अभिव्यक्ति।...