मेरी कलम मेरे अल्फाजों की
ये आखिरी सौगात है
अब ना हम होंगे
ना हमारी बातें
ना होंगी हसरतें
ना ही चाहतें
ना रुसवाइयां होंगी
ना आंखें होंगी नम
ना तुम रूठोगे
ना हम मनाएंगे
ना रातें करवटे लेते बीतेंगी
ना सुबह हताशा भरी होगी
अब जो होगा
वो मन में होगा
मन के कोने की हर किवाड़ अब बंद
ना खटखटाना इसे
क्योंकि इसकी कुंडी हमसे नहीं खुलेगी
बस ये ले लो
आखिरी अल्फाज
आखिरी सौगात
आखिर जज्बात
के साथ अलविदा..
मेरे दोस्तों
अलविदा मेरी मुस्कुराहट
अलविदा हर चाहत की आहट
अलविदा.. अलविदा।
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