माधो सिंह की कलम से.....
शुक्रवार, 7 मई 2010
‘मैं जिंदा हूं...
मैं ज़िंदा हूं यह मुश्तहर कीजिए,
मेरे क़ातिलों को ख़बर कीजिए’।
दिल ही तो है न संगो-ख़िश्त,
दर्द से भर न आए क्यों,
रोएंगे हम हजार बार,
कोई हमें सताए क्यों।
1 टिप्पणी:
Shekhar Kumawat
ने कहा…
are baba re
shan dar
or badhai aap ko
ki aap jinda he
7 मई 2010 को 3:55 am बजे
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are baba re
shan dar
or badhai aap ko
ki aap jinda he
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