ज़िंदगी की तलाश में हम मौत के कितने पास आ गए
जब ये सोचा तो घबरा गए आ गए हम कहाँ
ज़िंदगी की तलाश में
हम थे ऐसे सफ़र पे चले जिसकी कोई भी मंज़िल नहीं
हमने सारी उम्र जो किया उसका कोई भी हासिल नहीं
एक ख़ुशी की तलाश में ये कितने ग़म हमको तड़पा गए
जब ये सोचा तो घबरा ...
सोचो हम कब इतने मजबूर थे जो न करना था वो कर गए
पीछे मुड़ के जो देखा ज़रा अपने हालात से डर गए
खुद के बारे में सोचें जो हम अपने आप से शरमा गए
जब ये सोचा तो घबरा ...
1 टिप्पणी:
बहुत सुन्दर ....खुद के बारे में सोचने की कूबत बहुत कम ही लोग रखते है ! धन्यवाद !!
http://kavyamanjusha.blogspot.com/
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