फूल मुझे पसंद नहीं,
मै कांटों का दीवाना हूं।
मैं जलने वाली आग नहीं,
जल जाने वाला परवाना हूं।
ख्वाब मुझे पसंद नहीं,
मैं हकीकत का आशियाना हूं।
मैं मिटने वाली हसरत नहीं,
जीने वाला अफसाना हूं।
मैं थमने वाला वक़्त नहीं,
न छू पाने वाला किनारा हूं।
मैं रुकने वाली सांस नहीं,
दिल में धड़कने वाला सहारा हूं।
3 टिप्पणियां:
bahut badiya...
http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/
बहुत ही भावपूर्ण निशब्द कर देने वाली रचना . गहरे भाव.
gajab ke alfaj he
bahut dil dukhaya aap ka us jalim ne mujhe assa lagta he
achi rachana he
bahut khub
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
एक टिप्पणी भेजें