आज सुबह का सूरज सफेद था
हवा भी थी खुशक बहुत
लगता है रात फिर रो कर गुजार दी उसने।।
उसने कभी नहीं कहा
उसे है शिकायत बहुत
उस तरफ से आती भीगी हवा
छुपे राज खोल गयी।।
जी तो सभी लेते हैं
चाहे टुकडों में मिले जिन्दगी
बहुत कम उन टुकडों को सीना जानते हैं।।
1 टिप्पणी:
वाह क्या बात कह दी………गज़ब कर दिया।
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